Tuesday, September 19, 2006

सौगात + an old Lata didi Song from Toofan aur Diya


सौगात


Girihaari MhaaNe Chaakar Raakho Jee
Toofan aur Diya
Vasant Desai

Click to listen this amazing song Singer : My Lata Didi :


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जिस दिन से चला था मैँ,
वृन्दावन की सघन घनी कुँज ~ गलियोँ से ,
राधे, सुनो, तुम मेरी मुरलिया फिर , ना बजी !
किसी ने तान वँशी की फिर ना सुनी !
वँशी की तान सुरीली,तुम सी ही सुकुमार
सुमधुर, कली सी ,मेरे अँतर मे,घुली - मिली सी,
निज प्राणोँ के कम्पन सी अधर रस से पली पली सी !
तुम ने रथ रोका -- अहा ! राधिके !
धूल भरी ब्रज की सीमा पर ,
अश्रु रहित नयनोँ मे थी पीडा कितनी सदियोँ की !
सागर के मन्थन से निपजी , भाव माधुरी
सोँप दिये सारे बीते क्षण वह मधु - चँद्र - रजनी,
यमुना जल कण , सजनी !
भाव सुकोमल सारे अपने भूत भव के सारे वे सपने
नीर छ्लकते हलके हलके
सावन की बूँदोँ का प्यासा अँतर मन चातक पछतता
स्वाति बूँद तुम अँबर पर गिरी सीप मेँ, मोती बन!
मुक्ता बन मुस्कातीँ अविरल
सागर मँथन सा मथता मन
बरसता जल जैसे अम्बर से
मिल जाता द्रिग अँचल पर !
सौँप चला उपहार प्रणय का
मेरी मुरलिया, मेरा मन!
तुम पथ पर निस्पँन्द खडी,
तुम्हे देखता रहा मौन शशी
मेरी आराध्या, प्राणप्रिये,
मन मोहन मैँ, तुम मेरी सखी !
आज चला वृदावन से ---
नही सजेगी मुरली कर पे --
अब सुदर्शन चक्र होगा हाथोँ पे
मोर पँख की भेँट तुम्हारी,
सदा रहेगी मेरे मस्तक पे!

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