Thursday, December 07, 2006

Ek Kahani suno ....






http://www.4to40.com/4to40.com_non_ssl/folktales/print.asp?article=folktales_mit\ratakissekarein

Click on the above link to read a Folk Tale written by Late Pt. Narendra Sharma


Mitrata Kisse Karein! [In Hindi]Story from Hitopadesh...by Vishnu Sharma; Translated by - Narendra Sharma


PRINT FOLKTALES > MITRATAKISSEKAREIN . . .
PRINT





Stop to smell the ROSES !! [ स्टोप ट्उस्मेल्ल ध रोज़ीस ]~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~कल सुबह सुबह, अमुवा के पेड पर
एक कोयल फुस्फुसायी !!
हम ने कहा , " अरे ! यह क्या ?
आपकी सुरीली , तान कहाँ गई ? "
तब लँबी साँस लेकर
वो बोली,
" पर्यावरण का प्रदूशण देखो --
मेरी आवाज़ बैठ गई है !!! "
सारा आकाश धूँआँ धूँआँ ..
मिलोँ से ऊठता काला बादल
सडकोँ पर अनवरत यातायात
बेचारी कोयल सच कह रही है,
" वसँत तो आया है पर .......
कौन सुनना चाहता है कूक ?"
--- लावण्या
बुत को खुदा कहते रहे हम शान से,
जब फोड लिया माथा,
तब ये नज़ाकत समझ मेँ आई !
--- लावण्या

0 Comments:

Post a Comment

<< Home