मानवता
सोचो सोचो, अरे साथीयोँ गौर करो इन बातोँ पे
कहीँ मुखर हँसी मेँ खिलती वो, खिली धूप सी,
और कहीँ आशा- विश्वास की परँपरा है दर्शाती,
कहीँ प्राणी पे घने प्रेम को भी बतलाती
-वात्सल्य, करुणा,खुशी,हँसी,मस्ती के तराने,
आँसू,या विषाद की छाया बन कर भी दीख जाती
यही मानव मन से उपजे भाव अनेक अनमोल,
मानवता के पाठ पढाते युगोँ से, अमृत घोल !-- लावण्या -
10 Comments:
hello ma'm.
i read somewhere sometimes back that there is 'manyness of reality'n this is most vividly expressed notion of humanity!!!
true to the core!
aditi nandan
How True !!
There is a phrase here (In USA ) " from the mouth of the Babes = means, some times words of wisdon come from mouths of the very young in age ! ;-)
That is what i felt on reading your comment.
Thanx 4 stopping by & for this comment.
Rgds,
L
True!
Manavata ke kai roop!
Wonderful poem.
Picture is pretty too. Whose?
Rgds.
I come across randon pictures & SAVE the ones i like ;-)
The pic.# 1 is Tribal Bheel Girls
Pic# 2 is a South Indian Bride & Groom in their traditional wedding Dress, Harshad bhai !
once again a very good poem. the wedding picture looks like that of a telugu wedding.
ghughutibasuti
Thank you
Ghooghutee Basutee jee,
Yes the wedding picture is
of a Telugu wedding :) as U correctly observed !
Thank U 4 stopping by & your kind comments.
Rgds,
L
सच कहती हैं आप मैडम.. मानवता जीवन के सभी विविध रंगों में व्याप्त है.. जरूरत है तो बस उन भावों को समझ... उनमें मानव बन जीने की..
सुन्दर रचना..अगर मानवता के यह रंग ना होते... ये दुनिया बेरंग हो जाती
मोहिन्दरजी,
दुनिया मेँ जिन्हेँ "रँग" पसँद हैँ ,
वे रँगोँ को खोज ही लेते हैँ!
रँग के बिना जीवन नीरस और बोझिल सा होता है -
टिप्पणी के लिये, आभार,
सादर,
लावण्या
हाँ मन्या,मनुष्य का जन्म मिला है तो हम कमसे कम उसे सार्थक तो करेँ !
स -स्नेह
--- लावण्या
Post a Comment
<< Home