चाँद मेरा साथी है.............
क्योँ गोरी को दिया मान?
क्यूँ सुँदरता हरती प्राण?
क्योँ मन डरता है, अनजान?
क्योँ परवशता या अभिमान?
चाँद मेरा साथी है.............
और अधूरी बात
सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात!
क्यूँ मन मेरा है नादान ?
क्यूँ झूठोँ का बढता मान?
क्योँ फिरते जगमेँ बन ठन?
क्योँ हाथ पसारे देते प्राण?
चाँद मेरा साथी है.............
और अधूरी बात
सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात!
8 Comments:
Lavanyaji
Kyon juthon ka badhta maan....
Is there any answer?
Nice poem.
Rgds.
बहुत खुबसूरत मनोभाव को दर्शाती रचना के लिये बधाई:
चाँद मेरा साथी है.............
और अधूरी बात
सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात!
वाह!!
-सादर
समीर लाल
hi Mam.. सबसे पहले तो आपकी रचना में कुछ अलग ही बात है.. चांद के साथ काफ़ी बातें हुई और कई प्रश्न जो स्वयं उत्तर भी हैं.. काफ़ी कुछ कह गयी रचना और चांद मौन रह कर बातें करता रहा...
n yes Mam would love to be ur friend.. its really an honour to hear these words from u.. n dont believe i age differences.. i do developed a respect for u n found u sweet...so it will be gr8 experience knowing u n taking ur friendship..
Harshad bhai,
Haan, Jhooth ko Sach maan liya jata hai ..per sirf kuch samay ke liye !
Aakhir Peetal ,Sona to nahee kahlata !
Dono ki chamak Satya ko ujagar ker deti hai.
Rgds,
L
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मन्या,
हाँ ये कविता मैँ अक्सर कवि सम्मेलन मेँ सुनाती हूँ - सरल शब्दोँ से
प्रश्न पूछ कर , सुनने वालोँ के विचारोँ को आँदोलित करने से मुझे खुशी होती है !;- स~ स्नेह
स्- लावण्या
&
Ooh yes, I consider you my Friend.
Do drop a line @ my ID : lavanyashah@yahoo.com
Warm Rgds,
L
शुक्रिया समीर भाई !
आप की टिप्पणीयाँ हौसला दे जातीँ हैँ कि, हिन्दी ब्लोग जगत से कोई तो मेरी हिन्दी कविताएँ पढ रहा है !! ;-)
स~ स्नेह
-- लावण्या
I AM SYNCHRONISED!
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