Friday, March 23, 2007

उर्जा



उर्जा :
उर्जा का दुरउपयोग अणु विस्फोट मेँ देखा गया.
जब प्रकाश नियँत्रित साधनोँ मेँ दीखलाई पडे जैसे कि दीये मेँ
तब यही उर्जा व प्रकाश सुख समृध्धि और खुशहाली के सँदेश लाता है.
अर्जुन ने ईश्वर का विश्वरुप दर्शन, कुरुक्षेत्र के युध्ध मैदान मेँ किया -
जो ऐसे असम्ख्य अणु विस्फोटोँ से भी ज्यादा कई गुणा प्रखर था ऐसी मान्यता है.

एक धमाका ! भूकम्पोँ से भी ज्यादा

-आकाश पर उठता जहरीला गुबार-

मौत से साक्षात्कार, मशरुम आकार !

हिरोशीमा शहर की हस्ती नहीँ रही!

-मौत की भेँट, हरेक रुह हो गई

-हील गई नीँव, मानव सभ्यता की -

और फिर,

देर तक छाई रही...खामोशी !!



4 Comments:

Blogger Harshad Jangla said...

Urja ka durupayog

probably the biggest disadvantage of human research

Rgds.

8:01 PM  
Blogger Monika (Manya) said...

बस यही कामना ये दुरूपयोग फ़िर ना हो.. ना हो फ़िर कोई हिरोशिमा य नागासाकी की विनाशलीला..

4:25 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Yes,
The Scientist who created the Successful Atomic Blast compared it to the Bhagwad Geeta shloka where Sree Krishna says, " I AM MRITYU ! ( DEATH ) personified ! "
As he watched the Mashroom shaped cloud of smoke ....
&
Energy transforms itself but never diminishes ...was proved by Einstein ...EMC2 !!
Isn't it ?
Rgds,
L

8:43 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हाँ मन्या,
नागासाकी, हिरोशीमा के बम विस्फोट की तुलना मेँ बहोत ज्यादा भयँकर
बम आज निर्मित हो चुके हैँ -- जो सरी पृथ्वी को एक क्षण मेँ,
तबाह कर सकते हैँ --
मनुष्य अपने स्वभाव पर सँयम नहीँ रखेगा तब क्या होगा
उसकी कल्पना भी कठिन लग रही है :-(
स~ स्नेह
- लावण्या

8:50 AM  

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