Wednesday, March 28, 2007

दिवा -स्वप्न


दिवा -स्वप्न

~~~~~~~~~~~~

बचपन कोमल फूलोँ जैसा,

परीयोँ के सँग जैसे हो सैर,

नर्म धूप से बाग बगीचे खिलेँ

क्यारीयोँ मेँ लता पुष्पोँ की बेल

मधुमय हो सपनोँ से जगना,

नीड भरे पँछीयोँ के कलरव से

जल क्रीडा करते खगवृँद उडेँ

कँवल पुष्पोँ,पे मकरँद के ढेर!

जीवन हो मधुबन, कुँजन हो,

गुल्म लता, फल से बोझल होँ

आम्रमँजरी पे शुक पीक उडे,

घर बाहर सब, आनँद कानन हो!

कितना सुखमय लगता जीवन,

अगर स्वप्न सत्य मेँ परिणत हो!

--- लावण्या

10 Comments:

Blogger Harshad Jangla said...

Lavanyaji
If dream comes true......
Swapna satyame parinit ho!!!
Pictures are beautiful.
Poem too.
Rgds.

6:40 PM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Thank you for your quick & positive response Harshad bhai !
Rgds,
L

6:50 PM  
Blogger अनुनाद सिंह said...

दीवा-स्वप्न नहीं, दिवा-स्वप्न
दिवा = दिन

8:20 PM  
Blogger Monika (Manya) said...

aanand ki kalraw kartaa wo jeewan hoga.. jab Diva-swapan satya mein parinat hoga.. bachpan hi kyun yauvan bhi phoolon sa sukomal hoga.. bas aas ke deep hriday mein hum jalaayen.. sab roshan hoga..

Very beautiful dream Madam.. n beautiful pics too.. ur words are not less then live pics...

Regards
Manya

1:22 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अनुनाद सिँहजी,
शुक्रिया ! भूल सुधार कर लिया है --
स -स्नेह
--- लावण्या

7:01 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Thank you so much dear Manya ..
warm Rgds,
L

7:30 AM  
Blogger Unknown said...

simplicity is virtue!
your words ma'm so delicately mingled that left readers asking for more n the poem ends...but with gr8 optimisim bcoz thy know smthing more beautiful is in store n coming...!!!

11:44 AM  
Blogger Udan Tashtari said...

बहुत ही प्यारी और कोमल कविता है. साथ ही चित्र संयोजन बिल्कुल कविता से मेल खाता है. बहुत बधाई सुंदर रचना के लिये.

सादर
समीर लाल

1:06 PM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

I thank you for your VOTE of Confidence Aditi --
Will try to respect the flow of emotions which is "pure poetry "
which emerges when we surrender to the Higer being , guiding our life force.
warm rgds,
L

1:12 PM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

समीर भाई,
आपको चित्र व कविता का सँयोजन पसँद आया ये सुनकर खुशी हुई कि, चलो,
मुझमेँ भी वेब - प्रकाशन के गुण मौजूद हैँ :-)
आप की टिप्पणीयाँ अन्य ब्लोग जगत के जाल घरोँ की तरह मेरे जाल घर की शोभा मेँ अभिवृध्धि करतीँ हैँ
धन्यवाद सहित,
स -स्नेह
~ लावण्या

1:16 PM  

Post a Comment

<< Home