युग की सँध्या
युग की सँध्या
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युग की सँध्या क्रुषक वधू सी किस का पँथ निहार रही ?
उलझी हुई समस्याओँकी बिखरी लटेँ सँवार रही ...
युग की सँध्या क्रुषक वधू सी ....
धूलि धूसरित, अस्त ~ व्यस्त वस्त्रोँकी,
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युग की सँध्या क्रुषक वधू सी किस का पँथ निहार रही ?
उलझी हुई समस्याओँकी बिखरी लटेँ सँवार रही ...
युग की सँध्या क्रुषक वधू सी ....
धूलि धूसरित, अस्त ~ व्यस्त वस्त्रोँकी,
शोभा मन मोहे, माथे पर रक्ताभ चँद्रमा की सुहाग बिँदिया सोहे,
उचक उचक, ऊँची कोटी का नया सिँगार उतार रही
उचक उचक, ऊँची कोटी का नया सिँगार उतार रही
उलझी हुई समस्याओँकी बिखरी लटेँ सँवार रही
युग की सँध्या क्रुषक वधू सी किस का पँथ निहार रही ?
रँभा रहा है बछडा, बाहर के आँगन मेँ,
रँभा रहा है बछडा, बाहर के आँगन मेँ,
गूँज रही अनुगूँज, दुख की, युग की सँध्या के मन मेँ,
जँगल से आती, सुमँगला धेनू, सुर पुकार रही ..
उलझी हुई समस्याओँ की बिखरी लटेँ सँवार रही
उलझी हुई समस्याओँ की बिखरी लटेँ सँवार रही
युग की सँध्या क्रुषक वधू सी किस का पँथ निहार रही ?
जाने कब आयेगा मालिक, मनोभूमि का हलवाहा ?
जाने कब आयेगा मालिक, मनोभूमि का हलवाहा ?
कब आयेगा युग प्रभात ? जिसको सँध्या ने चाहा ?
सूनी छाया, पथ पर सँध्या, लोचन तारक बाल रही ...
उलझी हुई समस्याओँकी बिखरी लटेँ सँवार रही
उलझी हुई समस्याओँकी बिखरी लटेँ सँवार रही
युग की सँध्या क्रुषक वधू सी किस का पँथ निहार रही ?
[ Geet Rachna :: Late Pandit Narendra Sharma :
Compiled By : Lavanya ]
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