Wednesday, October 11, 2006


मोरे आँगन मेँ छिटकी चाँदनी,
घर आरे साजन!
घर आरे साजन!
मोरे प्यारे साजन !
छेडी कोयल ने प्रीत की रागिनी,
मीठी रागिनी चँदा मोरे अँग जले,
प्रीत की ज्वाला सही न जाये कुम्हालाये,
पिया बिन कामिनी, गई साजन सँग नीँद निगोडी !
तडपत नित नयनन की जोडी !
मैँ बनी तेरी बैरागिनी ...
घर आरे साजन!
घर आरे साजन!
मोरे प्यारे साजन !
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रचना : स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा
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मोरे आँगन मेँ छिटकी चाँदनी,
घर आरे साजन!
घर आरे साजन!
मोरे प्यारे साजन !
हाथोँ मेँ लेके फूलोँकी माला
नयना सजे ज्यूँ मदिरा का प्याला
आँगन मेँ लिपटी जूइ से चमेली,
उनपे छिटकी चँदा की चाँदनी !
मोरे आँगन मेँ छिटकी चाँदनी,
घर आरे साजन!
घर आरे साजन!
मोरे प्यारे साजन !
तेरी पूजारन, मँ, तेरी पूजारन,
प्रेम मेँ बनी मँ तेरी जोगन
छाई है धरती पे मधुरी पूनम!
मोरे आँगन मेँ छिटकी चाँदनी,
घर आरे साजन!
घर आरे साजन!
मोरे प्यारे साजन !
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रचना : लावण्या

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