Wednesday, October 11, 2006

श्री राधा मोहन



श्री राधा मोहन
, श्याम शोभन, अँग कटि पीताँबरम जयति जय जय, जयति जय जय , जयति श्री राधा वरम्
आरती आनँदघन, घनश्याम की अब कीजिये,
कीजिये विनीती , हमेँ, शुभ ~ लाभ, श्री यश दीजिये,
दीजिये निज भक्ति का वरदान श्रीधर गिरिवरम् ..
जयति जय जय, जयति जय जय , जयति श्री राधा वरम्


भगवद गीता का अमर सँदेश

महाभारत टी.वी .सीरीझ का शीर्षक गान - रचनाकार [स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ] ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अथ श्री महाभारत कथा... अथ श्री महाभारत कथा...
कथा है पुरुषार्थ की,
ये, स्वार्थ की , परमार्थ की
... सारथी जिसके बने, श्रीकृष्ण भारत पार्थ की.....
शब्द दिग्घोषित हुआ, जब सत्य सार्थक सर्वदा.
... शब्द दिग्घोषित हुआ.....................
" यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत..
अभ्युत्थानम अधर्मस्य
तदात्मानम सृजाम्यहम
परित्राणायाय साधुनाम,
विनाशायच दुष्कृताम
धर्म सँस्थापनार्थाय,
सँभावामि, युगे, युगे ! "

1 Comments:

Blogger Unknown said...

कथा है पुरुषार्थ की,
ये, स्वार्थ की , परमार्थ की
... सारथी जिसके बने, श्रीकृष्ण भारत पार्थ की.....
शब्द दिग्घोषित हुआ, जब सत्य सार्थक सर्वदा.
... शब्द दिग्घोषित हुआ.....................
" यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत..
अभ्युत्थानम अधर्मस्य
तदात्मानम सृजाम्यहम
परित्राणायाय साधुनाम,
विनाशायच दुष्कृताम
धर्म सँस्थापनार्थाय,
सँभावामि, युगे, युगे ! "
Ka full meaning in hindi

12:31 AM  

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