श्वेत -श्याम
श्वेत -श्याम
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रात दिवस, श्वेत श्याम,
एक उज्ज्वल,दूजा घन तमस
बीच मेँ फैला इन्द्रधनुष,
उजागर, किरणोँ का चक्र,
एक सूर्य के आगमन पर,
उसके जाते सब अन्तर्ध्यान!
तमस , जडता का फैलता साम्राज्य !
चन्द्र दीप, काले काले आसमाँ पर,
तारोँ नक्षत्रोँ की टिमटीमाहट,
सृष्टि के पहले, ये कुछ नहीँ था
-सब कुछ ढँका था एक अँधेरे मेँ,
स्वर्ण गर्भ, सर्व व्यापी, एक ब्रह्म
अणु अणु मेँ विभाजित, शक्ति पूँज !
मानव, दानव, देवता ,यक्ष किन्नर,
जल थल नभ के अनगिनत प्राणी,
सजीव निर्जीव, पार्थिव अपार्थिव
ब्रह्माण्ड बँट गया कण क़ण मेँ जब,
प्रतिपादीत सृष्टि ढली सँस्कृति मेँ तब !
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लावण्या
6 Comments:
Lavanyaji
Very good wordings. Plz tell me the meaning of "Pratipadit Srishty"
I am enjoying your blog and visit regularly.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
Feb 1, 2007
Pratipadit = established
Srishty = world
thank you 4 being a reguler visitor to my Blog + leaving comments Harshad ji.
rgds,
L
Thank you.
-Harshad Jangla
1 feb 2007
ये तो epcot, orlando का चित्र लग रहा है
जी हाँ तरुण जी सही कहा आपने -
lavanyaji
namaste,
In "Shwet shyam" you have started the poem with "raat diwas" and later you have used shwet shyam.In my opinion if you use "shyam shwet" because the words being used in the poem are following this.
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