Thursday, December 07, 2006

माँ, मुझे फिर जनो



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http://anubhutihindi-naihawa.blogspot.com/

& here is my " inspiration " on seeing this CHAVI


-- माँ, मुझे फिर जनो ....
~~~~~~~~~
~~" देखो, मँ लौट आया हुँ !
अरब समुद्र के भीतर से,
मेरे भारत को जगाने कर्म के दुर्गम पथ पर सहभागी बनाने,
फिर, दाँडी ~ मार्ग पर चलने फिर एक बार शपथ ले,
नमक , चुटकी भर ही लेकर हाथ मँ,
प्रण ले, भारत पर निछावर होने
मँ, मोहनदास गाँधी,फिर, लौट आया हूँ !
लावण्या

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