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विक्षुब्ध्ध तरँग दीप,
मँद ~ मँद सा प्रदीप्त,
मौन गगन दीप !
मौन गगन, मौन घटा,
नव चेतन, अल्हडता
सुख सुरभि, लवलीन!
झाँझर झँकार ध्वनि,
मुख पे मल्हार
कामना असीम,
रे,कामना असीम, !
मौन गगन दीप!
चारु चरण, चपल वरण,
घायल मन बीन!
रे, कामना असीम !
मौन गगन दीप!
वेणु ले, वाणी ले,
सुरभि ले, कँकण ले,
नाच रही मीन!
जल न मिला, मन न मिला,
स्वर सारे लीन!
नाच रही मीन
!मौन गगन दीप!
सँध्या के तारक से,
मावस के पावस से,
कौन कहे रीत ?
प्रीत करे , जीत,
ओ मेरे, सँध्या के मीत!
मेरे गीत हैँ अतीत.
बीत गई प्रीत !
मेरे सँध्या के मीत
-कामना अतीत
रे, कामना अतीत !
मौन रुदन बीन,
रे,कामना असीम, !
मौन गगन दीप!
~~ लावण्या
12 Comments:
बहुत सुंदर रचना लगी, बधाई.
Bahut Khub.
बहुत सुन्दर कविता। कविता को देखते हुए लगता है कि आपको हिन्दी का बहुत अच्छा ज्ञान है फिर ब्लॉग का नाम रोमन में क्यों। इस विषय में मेरे विचार यहाँ पढ़िए: अपने चिट्ठे का नाम हिन्दी में क्यों नहीं रखते
Lavanyaji
Very nice poem. Rich language.
Can you explain 'Mavas ke Pavas se"?
Thank you.
Regards.
समीर भी,
नमस्ते !
आपको कविता पसँद आई - मुझे खुशी हुई जानकर -
थन्क्यू जी ;-)
स - स्नेह,
लावण्या
Bhawna ji,
Dhanyawaad --
Rgds,
L
शिर्ष जी,
नमस्ते !
आपका लेख पढ लिया फिर भी, समझ नहीँ पाई कि, नाम को कैसे हिन्दी मेँ बदलूँ?
जैसा कि मेरी अन्य प्रविष्टियोँ से आप ने देखा होगा कि, यह "जाल घर " हिन्दी, अँग्रेजी व गुजराती ३ भाषाओँ से बना है -
एक स्वतँत्र हिन्दी का ही ब्लोग हो ये मेरी इच्छा है, अभी सीख रही हूँ - कविता पसँद आई उसका शुक्रिया !
स - स्नेह,
लावण्या
Harshad bhai,
Mavas = Amavas :) now you will know the meaning --
& Pavas = Varsha Ritu --
It rhymes well hence, mavas was used instead of the full word amavas --
I'm glad U liked this poem - thank u 4 yet another visit -
Rgds,
L
बहुत उम्दा रचना…शानदार भाव-भंगीमा और प्रवाह की उत्कृष्टता इसकी विशेषता है… मैं कहना तो कुछ नहीं चाह रहा था क्योंकि ऐसी रचना पर कहा ही नहीं जा सकता…।
बधाई स्वीकारे!!
कविता पढ़कर लगा मानों कोइ आसमान से रस बरसा रहा हो। अति सुन्दर कविता है ।
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परमजीत जी,
नमस्ते !
कविता पसँद आई सुनकर खुशी हुई !
धन्यवाद !
स-स्नेह,
लावण्या
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