पारस - स्पर्श - १ -- ( प्रथम ) -
पारस - स्पर्श
श्री रामाभ्याम नम:
श्री गणेश स्तुति
राग: बिलावल:
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गाइये गनपति जग बँदन सँकर सुवन भवानी के नन्दन
गाइये गनपति जग बँदन सँकर सुवन भवानी के नन्दन
सिध्धि सदन गज बदन विनायक कृपा सिँधु, सुँदर सब लायक
मोदक प्रिय मुद मँगल दाता विध्या वारिधि, बुध्धि विधाता
माँगत तुलसीदास कर जोरे बसहिँ रामसिय मानस मोरे
राग: रामकाली :
जाँचिये गिरिजापति कासी जासु भवन अनिमानिक दासी
औढरदानि द्रवत पुनि थोरेँ, सकत न देखि दीन कर जोरेँ
सुख सम्पत्ति, मति सुगति सुहाई सकल सुलभ सँकर सेवकाई
गये सरन आरती कै लीन्हे निरखि निहाल निमिष मह कीन्हे
तुलसीदास जाचक जस गावै बिमल भगति रघुपति की पावै.
बाबा सँत शिरोमणि तुलसीदास जी की पावन स्तुति से आरँभ कर रही हूँ "पारस -स्पर्श" लेख मालिका को : ~~ यह प्रथम भाग है :~~
2 Comments:
सुन्दर शुरुआत
धन्यवाद !
स - स्नेह,
-- लावण्या
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