Saturday, May 26, 2007

श्री अमृतलाल नागर - संस्मरण - भाग -- ४

कुमारी सुशीला गुलाबदास गोदीवाला

श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा
गताँक से आगे : ~~
अपने छात्र जीवन मेँ ही कुछ पैसे कमाने के लिये नरेन्द्र जी कुछ दिनोँ तक "भारत" के सँपादीय विभाग मेँ काम करते थे. शायद " अभ्युदय" के सँपादीकय विभाग मेँ भी उन्होने काम किया था. M.A पास कर चुकने के बाद वह अकेले भारतीय काँग्रेस कमिटी के दफ्तर मेँ भी हिन्दी अधिकारी के रुप मेँ काम करने लगे. उस समय जनता राज मेँ राज्यपाल रह चुकनेवाले श्री सादिक अली और भारत के दूसरे या तीसरे सूचना मँत्री के रुप मेँ काम कर चुकनेवाले स्व. बालकृष्ण केसकर भी उनके साथ काम करते थे. 

एक बार मैँने उन दिनोँ का एक फोटोग्राफ भी बँधु के यहाँ देखा था.
उसी समय कुछ दिनोँ के लिये वह कोँग्रेस के अध्यक्ष पँडित जवाहरलाल नेहरु के कार्यालय के सचिव भी रहे थे. इतने प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्होँने कभी, किसी से किसी प्रकार की मदद नहीं माँगी.
फिल्मोँ मेँ उन्होँने सफल गीतकार के रुप मेँ अच्छी ख्याति अर्जित की. उससे भी अधिक ज्योतीषी के रुप मेँ भी उन्होँने वहाँ खूब प्रतिष्ठा पायी.
एक बार तो मैँ उनसे नाराज़ भी हो गया था. यह ज्योतिष विध्या उन्होँने देवली जेल मेँ ही रहकर सीखी थी.जेल मेँ रहकर ही अल्मोडा के किसी पँडित की लिखी हुई एक अच्छी पुस्तक " सुगम ज्योतिष" उनके हाथ लग गई थी, उसे पढकर ही उन्हेँ इस विध्या का चस्का लगा था. उसके बाद उन्होँने और किताबे पढीँ थीँ - बँबई मे रहते हुए उत्तर और दक्षिण भारत के कई ज्योतिषियोँ से उनकी अच्छी जान पहचान हुई - कई अलभ्य पुस्तकोँ का पता भी उन्हेँ लगा और धीरे धीरे वह गीतकार के अलावा बँबई के ख्यातनाम ज्योतिषियोँ मेँ गिने जाने लगे.लेकिन उन्होँने कभी उससे आर्थिक लाभ नहीँ उठाया. हमारी प्रतिभा अक्सर उनसे कहती, " जेठजी -देवर जी ", यह बताइये कि हमारा इनका झगडा कब खत्म होगा ? " और बँधु हँस कर कहते," यह झगडा ही तो आपके प्रेम की निशानी है यह कैसे खत्म होगा ? "

बँबई मेँ रहते हुए ही उनका कुमारी सुशीला गोदीवाला से परिचय हुआ. यह परिचय बहुत प्रगाढ हो गया. उन्होँने एक कविता भी लिखी थी,मैँने कहा, " बँधु, किससे यह नेह नाता जुडा है ? इसमेँ बहुत गहराई है ! अब बस ब्याह कर लिजीये." " मैँ भी यही सोचता हूँ बँधु, " - बाद मेँ मेरी , प्रतिभा और नरेन्द्र जी की बातेँ हुईँ श्री गुलाबदास गोदीवाला जी के रेलवे मेँ काम करने के कारण प्रतिभा की पुरानी स्मृतियाँ जाग उठीँ -आदरणीय गुलाबदास गोदीवाला , कभी आगरे मेँ स्टेशन मास्टर रह चुके थे. उस समय आगरे मेँ रहनेवाले एक सँपन्न गुजराती वैश्य सज्जन श्री मधुवनदास शाह और उनकी पत्नी से गोदीवाला दँपत्ति की खासी जान -पहचान थी और मेरी स्वर्गीया सासजी स्वर्गीय शाह दँपत्ति की धर्मपुत्री थीम अपनी माता के साथ प्रतिभा का भी वहाँ बहुत आना जाना होता था . प्रतिभा ने कहा, " यह गोदीवालाजी कहीँ वे ही पुराने परिचय के न होँ ! " नरेन्द्र जी से उन्होँने यह बात बतलाई- उनकी होनेवाली सास जी ने इस बात का समर्थन किया और मुझे तथा प्रतिभा को अपने घर भोजन पर आमँत्रित किया. बातेँ स्पष्ट होने पर हम दोनोँ का नेह नाता भी गोदीवाला परिवार से तत्काल जुड गया - नरेन्द्र शर्मा और सुशीला गोदीवाला के विवाह की बात तब तक लगभग तय हो चुकी थी, अब और भी पक्की हो गयी. 
क्रमश: ~~~~~~

9 Comments:

Blogger Dr.Bhawna Kunwar said...

"यह परिचय बहुत प्रगाढ हो गया. उन्होँने एक कविता भी लिखी थी,मैँने कहा, " बँधु, किससे यह नेह नाता जुडा है ? इसमेँ बहुत गहराई है ! "

अच्छा लगा पढ़कर रिश्तों की गहराई को, जो आज़ लुप्त होते जा रहे हैं।

11:03 PM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

भावुक कवि ह्रदय के अँतरँग मित्रोँ की आपसी बातेँ उनकी घनिष्ठता को साफ उजागर करतीँ हैँ यहाँ है ना ?
स्नेह सहित,
लावण्या

12:43 PM  
Blogger Divine India said...

अमृत लाल नागर जी के संबंध में इतना कुछ जानकर बहुत अच्छा लग रहा है… इतनी वृहत प्रस्तुति के लिए बधाई!!!

10:07 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हाँ दीव्याभ ,
मेरे नागर जी चाचा जी के बारे मेँ यह लिखते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है -काश वे भी देख पाते --
धन्यवाद --
स्नेह,
-- लावण्या

5:08 PM  
Blogger आशीष कुमार 'अंशु' said...

बहुत खूब..

4:16 AM  
Blogger प्रदीप मानोरिया said...

आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए मैं आपका अत्यन्त आभारी हूँ.. अपना आगमन नियमित बनाए रखें . श्री अमृत लाल नागर जैसी महान हस्ती के चित्र देख कर ह्रदय हर्षित हुआ . आपका उनसे निकट का सम्बन्ध है यह जानकर मैं अति रोमांचित हूँ
आपके पुन: आगमन की प्रतीक्षा में

9:09 PM  
Anonymous Anonymous said...

सुंदर एवं रमणीय रचना

12:12 AM  
Blogger श्रद्धा जैन said...

bahut hi sunder bhaav aur rishton ki gharyi padh kar achha laga

7:42 AM  
Blogger संजय भास्‍कर said...

अच्छा लगा पढ़कर रिश्तों की गहराई को,
bahut hi sunder



htttp://sanjaybhaskar.blogspot.com

2:23 AM  

Post a Comment

<< Home