केन्द्रबिन्दु
प्रशाँत महासागर किनारे पर खडा ऐकाकी वृक्ष जो १७ मील लँबे तेज रफ्तार मार्ग पर पर्यटक आकर्षण का "केंद्रबिंदु" है जिसे देखकर मन न जाने, कई बार, कितने ही तानोँ बानोँ मेँ उलझ गया है !! मेरी अम्मा श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा द्वारा बनाया हुआ चित्र
" पल पल छिन छिन,
कण कण बिन बिन,
कण कण बिन बिन,
सँजोये जो हर दिन
घुल मिल जाते यूँ,
बिँदु तुहीन जल से
महासागर मे मिल -
-अस्तित्व अलग है,
वारिधि का क्या ?
-अस्तित्व अलग है,
वारिधि का क्या ?
कण का क्या रज से ?
उस असीमता का पट,
ऊँचे अम्बर फलकसे ?
मुझमेँ निहारीकाएँ,
मैं आकाशगँगा मेँ,
एकाकार हुआ सर्व,
मैं आकाशगँगा मेँ,
एकाकार हुआ सर्व,
मौन गहन मनन मेँ !"
Ye Ek "Abstract " poem hai -- "Kendra Bindu" VYOM Mandal ka, CENTERAL Point hai .
VIRAT , ka ya BRAHM ka -- ya ATMAN ka bhee --
Every mili second, in the tinest of the atoms particles, that which is "preserved"
often merges into INFINITY ---
In Dew drops, in mighty Oceans,in all forms of WATER,
in every sand particle, stretching into beyond it all,
reflecting from the AAKASH , adorned with multitudes of Galaxies
where I am a STAR in the Milky Way ...when my SILENCE deepens
in my hour of Solitude !
VIRAT , ka ya BRAHM ka -- ya ATMAN ka bhee --
Every mili second, in the tinest of the atoms particles, that which is "preserved"
often merges into INFINITY ---
In Dew drops, in mighty Oceans,in all forms of WATER,
in every sand particle, stretching into beyond it all,
reflecting from the AAKASH , adorned with multitudes of Galaxies
where I am a STAR in the Milky Way ...when my SILENCE deepens
in my hour of Solitude !
-- लावण्या
6 Comments:
Lavanyaji
Enjoyed the pictures & poem too.
What does 'Tuheen' mean?
Rgds.
-Harshadbhai
April 27 , 07
As far as my i know TUHEEN shabd means DEW - jhaankal in Gujratee
OOS ki Boond in Hindi/Urdu
"Jyoti Kalash Chalke " sung by Latadidi has the same words (written by Papaji :-)
" Bindu TUHEEN jal ke .."
if U listen to that song u;ll hear them ..which i think are so lyrical, musical & among best in Hindi poetry.
Rgds,
L
सुन्दर चित्र हैं।
उन्मुक्त जी,
धन्यवाद !
स्नेह,
लावण्या
O My God wht a depth...
कितना सीखने को मिल रहा है यही मेरे लिए काफी है…हर बूंद बन गई सागर और सागर है उफान पर्…
इसकी गहराई को समझना काफी कठीन है…।
चित्र तो बहुत ही सुंदर है उसमें लाल रण्ग की हल्की आभा आ रही है वह बहुत सराहनीय है…।
मेरे द्वारा लिये गये चित्र (इस लेख का प्रथम चित्र) को "केन्द्रबिन्दु" में स्थान देने के लिये धन्यवाद. अभी हाल में ही मैंने और भी कई चित्र अपने ऑन-लाईन अलबम में जोड़े हैं. उन्हें यहाँ देखा जा सकता है: http://atulks.myphotoalbum.com
- अतुल
http://lakhnawi.blogspot.com
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