कौन यह किशोरी?
चुलबुली सी, लवँग लता सी,
कौन यह किशोरी ?
मुखड़े पे हास,रस की बरसात,
भाव भरी, माधुरी !
हास् परिहास, रँग और रास,
मुखड़े पे हास,रस की बरसात,
भाव भरी, माधुरी !
हास् परिहास, रँग और रास,
कचनार की कली सी,
कौन यह किशोरी?
अल्हडता,बिखराती आस पास,
कोहरे से ढँक गई रात,
सूर्य की किरण बन,
बिखराती मधुर हास!
कौन यह किशोरी?
भोली सी बाला है,
मानों उजाला है,
मानों उजाला है,
षोडशी है या रँभा है ?
कौन जाने ऐसी ये बात!
हो तेरा भावी उज्ज्वलतम,
न होँ कटँक कोई पग,
बाधा न रोके डग,
खुलेँ होँ अँतरिक्ष द्वार!
हे भारत की कन्या,
तुम,प्रगति के पथ बढो,
नित, उन्नति करो,
फैलाओ,अँतर की आस!
होँ स्वप्न साकार, मिलेँ,
दीव्य उपहार, बारँबार!
है, शुभकामना, अपार,
विस्तृत होँ सारे,अधिकार!
यही आशा का हो सँचार !
~~लावण्या~~
~~लावण्या~~
25 Comments:
सुन्दर लिखा है आपने.. पढ कर अच्छा लिखा
बहुत ही सुन्दर कविता है आपके किशोरी को देख कर ढेरों प्यार उमड पडा ऐसा लग रहा है जैसे ये किशोरी मेरी बेटी है या मेरी मां की बचपन की तस्वीर है । धन्यवाद इतनी मोहक चित्र एवं पूरक रूप में प्रस्तुत कविता के लिए ।
सुंदरतम रचना ।
You are Master! Thank you.
चित्र और कविता में इतना तालमेल है कि हर पंक्ति पढ़ते हुए चित्र स्वतः ही सामने आजाता है।
बहुत सुंदर कविता है।
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मैं अपने लेख में पूज्य नरेन्द्र शर्मा जी की निम्न पंक्तियों की बात कर रहा था किंतु 'कादम्बिनी' के
संपादक ने यह पंक्तियां ना जाने किस कारण से नहीं छापीः
‘सत्य हो यदि,कल्प की भी कल्पना कर,धीर बांधूँ,
किन्तु कैसे व्यर्थ की आशा लिये,यह योग साधूँ !
जानता हूँ, अब न हम तुम मिल सकेंगे !
आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे ?’
मैं ऐसा मानता हूं कि यह कविता हिंदी साहित्य की धरोहर है।
बहुत सुन्दर कविता और साथ ही चित्र भी ...
धन्यवाद मोहिन्दर भाई !
स -स्नेह,
लावण्या
सँजीव भाई !
आपकी निस्छल बातोँ को पढकर खुशी हुई !
स -स्नेह,
लावण्या
प्रभाकर जी,
अनेकोँ धन्यवाद!
स -स्नेह,
लावण्या
Hello David,
Thank you for your kind words !
आदरणीय महावीर जी,मेरे प्रयास को सराहने के लिये,आपका धन्यवाद!
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हाँ पापाजी की ये पँक्तियाँ कालजयी मानती हूँ मैँ भी !
स -स्नेह,
लावण्या
अनूप भाई,
आपको कविता पसँद आई !
सुनकर खुशी हुई !
स -स्नेह,
लावण्या
अच्छा लिखा|पढ कर अच्छा लगा| जारी रखियेगा
अत्यंत प्रंजल…सजल…व्यापक रोशनी की ओर प्रवाहमान…समर्पित अनुराग…क्या कहा जाए इसमें सब आ गया…जो मूर्त कल्पना की है आपने वह इतना सजीव है की कोई रोक ही नहीं सकता इस व्यक्तित्व की क्रिया होने से…आँखों में लहर और कर्णों में शांत स्वर स्वयं उभर आये!!!निर्मल है…सुंदर!!
Lavanyaji
Very nice poem.
Let me know the meaning of 'Kachnaar"
Rgds.
जय,
धन्यवाद !
स्नेह,
लावण्या
दीव्याभ,
आपका स्नेह हमेशा प्रोत्साहन देता रहता है !
अत: धन्यवाद !
स्नेह,
लावण्या
Harshad bhai - Kachnar = Kachnaar is a tree - (Variegated mountain ebony),is the Official name.
rgds,
lavanya
लावन्या जी दिल को छू गयी आपकी ये रचना और बोलता हुआ ये चित्र कहीं ये चित्र आपके किसी अपने का तो नहीं कहीं आपका? :)क्योंकि बहुत ही खूबसूरत है। बधाई स्वीकारें।
भावना जी,
यह चित्र दक्षिण भारत की एक सिने तारिका का है जिसे देखकर मुझे भी मनमोहक लगा यह चित्र !और कविता की प्रेरणा मिली !
आभार आपका जो आपने मेरी छबि देखी इस मेँ !!
स्नेह के साथ,
लावण्या
बहुत ही अच्छी रचना है ..बढ़िया लिखा है.. चित्र भी बहुत अच्छा है..
खुबसुरत...... तस्बीर और आपकी रचना दोनों.
मेरे ब्लॉग पर आप सदर आमंत्रित हैं
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
सादर
बहुत ही सुन्दर रचना
मैं भी पशोपेश में हूँ.समझ नहीं पा रहा हूँ कि चित्र कविता के लिए पूरक है अथवा कविता चित्र से प्रेरित है.सुन्दर काव्य.
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