Thursday, February 01, 2007

भूमिका -- २ --द्वीतिय ( "पारस -स्पर्श" )


" सब जानत प्रभु प्रभुता सोई, तदपि कहे बिन रहा न कोई "

"राम सीया राम जय जय राम सीया राम "


भारतभूमि मेँ "मनुस्मृति " ने भले ही गर्व से कहा कि," जिस जगह स्त्री की पूजा होती है वहीँ पर स्वर्ग है " परँतु समाज मेँ वास्तव मेँ कुछ और ही वास्तविकता दीखाई पडती रही है -आर्य विदुषी नारीयाँ अपना अनोखा स्थान रखती हैँ परँतु इनके सामने ये तथ्य भी उजागर है कि, भारतीय दर्शन व वाङमय , नारी को " ईश्वर -प्राप्ति -साधना" क्रिया मेँ हमेशा दूसरा दर्जा देता आया है --

पुराणोँ तथा इतिहास के पन्नोँ को पलटते , हम कई ऐसे नारी पात्रोँ से मिलते हैँ जो सती या पवित्रा न थीँ बल्कि, पतिता या पापिन थीँ -- किँतु ईश्वर तो हर जीव से, एक सा प्रेम करते हैँ
-हर आत्मा के उत्थान मेँ वे ही निमित्त बनते हैँ -
ऐसी नारी ही प्रभु से विनती करती है कि,

" तुम पापिन के परम सनेही, दो मुक्ति का वरदान !

हो श्यामा , अँगना पधारो राम ! "


कई ऐसे उदाहरण हैँ जहाँ प्रभु "पारस" बनकर कुछ चुने हुए नारी पात्रोँ के जीवन मेँ आये और उन्हेँ लोहे से सुवर्ण बना दीया !
प्रभु के पावन स्पर्श से वे सँसार सागर तर गईँ !
आत्मा की गति, प्रगति तथा मुक्ति के लिये परामात्मा सतत प्रयत्नशील रहते हैँ -सूर्य यही चाहता है कि, उसके तेज पूँजसे बिछुडी किरणेँ फिर उसी के तेज मेँ आकर समा जायेँ -


भारतीय धर्म यही कहता है कि, स्त्री पातिव्रत धर्म का पालन करती हुई स्वर्ग या मुक्ति दोनोँ पा सकतीँ हैँ
-अरुँधती, तारा, मँदोदरी, दमँयती, सीता सती थीँ -
पर आपके सामने ऐसे स्त्री पात्र आयेँगे जिन्हेँ इतना आदरणीय स्थान नहीँ मिला --
फिर भी प्रभु के पावन गँगा जल सद्रश्य स्पर्श से उनके सारे पाप धुल गये और उन्हेँ सद्`गति मिली
-भारतीय दर्शन आत्मा के पुनर्जन्म मेँ, आत्मा की अमरता मेँ द्रढ आस्था रखता है
- कर्म के प्रभाव से कोई अछूता नहीँ किँतु सँत समागम से अपवित्र पात्र भी पवित्र हो जाता है

-तब प्रभु के सामीप्य का तो कहना ही क्या ?

अस्तु : ~~~

" समय समय बलवान है, नहीँ मनुज बलवान,
काबे गोपियाँ लूँट लीँ, ऐ ही अर्जुन ऐ ही बाण! "

3 Comments:

Blogger Harshad Jangla said...

Lavanyaji
Aapki vishay vividhta dekhkar man ati prasanna ho raha hai.
You have excellence in all the fields. Very nice.
How do I write in Hindi?
Rgds.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
Feb 2, 2007

10:03 AM  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Harshadji,
Shukriya ! you r too kind --
To write in Hindi, you'll have to down load HINDI fonts on your PC --
It may sound difficult but with a little practise, it isn't so --
I'll ask a Techno - savvy Anoop bhai to show you the way -- Will E mail u with details,
Rgds,
L

3:47 PM  
Blogger Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत अच्छा प्रयास है लावन्या जी।

1:14 AM  

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