अल्यूनाटाइम



अत्याधुनिक किँतु पौराणिक चँद्रमा की घटने बढने की प्रक्रिया से जुडी हुई नई इजाद है. ३ वृत्ताकार वलयोँ से ज्वार - भाटा से पर्चालित समय को नई पध्ध्ति सेसमझने वाला यँत्र है --





मेरी अम्मा श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा द्वारा बनाया हुआ चित्र

हिन्दी नाटिका " माधुरी" का प्रथम पृष्ठ देखिये
और अँत मेँ यह चित्र मुझे भेजा गया था "ई मेल" के जरिये ~
~ कैलास पर्बत पर हिमपात का द्र्श्य कैमरे से लिया गया है !
गौर से देखिये, क्या ॐ जैसा आकार नहीँ दीखता ?? है ना विस्मय लिये बात ?





नर्मदा क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थान : नर्मदा माई की उत्तर दिशा मेँ स्थित यात्रा के स्थलोँ की सूची इस प्रकार है ~~ 
इतिहास साक्षी रहा है नदीयोँ के आसपास के इलाकोँ का कि, किस तरह मानवीय प्राचीन सभ्यताओँ का, ग्राम्य व नगरोँ मेँ परिवर्तित होना, यह नदी तट पर ही, सँभव हुआ ! जल की सुविधा, भूमि का बाहुल्य, नदीओँ का सामीप्य, मानव जाति की आबादी के बसने मेँ, मानव के सभ्य होकर, ग्रामवासी व नगरवासी के रूप में प्रतिष्ठित होने में सहायक सिध्ध हुए। नदी की सँपदा से ही एक 'कायमी पडाव' मनुष्य की सभ्यता के सोपान बन सके थे। युफ्रेटीस, टाईग्रीस, नदियों ने सर्व प्रथम 'मेसोपोटेमीया ' सभ्यता की नींव ईसा पूर्व काल ५००० - ३५०० 5000-3500 BCE: में रखी थी।
याँग काई शेक व सीक्याँग नदीयोँ के तटोँ पर चीन की सभ्यता पनपी। 
मैया नर्मदा, मात्र नदी नहीं भारत भूमि की धरा पर बहती भोलेनाथ शिवजी की कृपा धारा है व पवित्रता, उपयोगिता और भारतीय सँस्कारोँ की नदी है। पुराण कालसे नर्मदा का आँचल, तपस्वीयोँ की , योगियोँ की, तपोभूमि रही है।

