अल्यूनाटाइम



अत्याधुनिक किँतु पौराणिक चँद्रमा की घटने बढने की प्रक्रिया से जुडी हुई नई इजाद है. ३ वृत्ताकार वलयोँ से ज्वार - भाटा से पर्चालित समय को नई पध्ध्ति सेसमझने वाला यँत्र है --
हिन्दी नाटिका " माधुरी" का प्रथम पृष्ठ देखिये
और ये मेरे पुज्य पापाजी का देहली से लिखा हुआ पोस्ट कार्ड है -- जब वे आकाशवाणी को खडा करने मेँ सँलग्न थे -- आज भी "रानी बिटिया लावणी " का सम्बोधन पढकर, हल्की सी मुस्कान चेहरे पर छा ही जाती है ! अक्षर अवश्य धुँधले पड गये हैँ, स्याही भी सूख गई है कागज़ भी पुराना हो चला है पर उनकी भाव उमडवाने की क्षमता मेँ कोई कमी नहीँ आई !
और अँत मेँ यह चित्र मुझे भेजा गया था "ई मेल" के जरिये ~
~ कैलास पर्बत पर हिमपात का द्र्श्य कैमरे से लिया गया है !
गौर से देखिये, क्या ॐ जैसा आकार नहीँ दीखता ?? है ना विस्मय लिये बात ?